Bharat Bandh 2021 Latest News with daily Doze: कांग्रेस ने अपने सभी कार्यकर्ताओं, प्रदेश इकाई प्रमुखों और पार्टी से जुड़े संगठनों के प्रमुखों को 'भारत बंद' में शामिल होने को कहा है। बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने बंद का समर्थन करते हुए केंद्र से इन कानूनों को वापस लेने की मांग की। आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस ने भी समर्थन देने का ऐलान किया है। आरजेडी, तेलुगूदेशम और लेफ्ट पार्टियां पहले ही भारत बंद को अपना समर्थन देने की घोषणा कर चुकी हैं।
आंदोलनकारी किसानों की ओर से 27 सितंबर 2021 बुलाए गए 'भारत बंद' को अधिकतर विपक्षी दलों ने समर्थन दिया है। केंद्र सरकार के तीन खेती कानूनों के विरोध में 40 से ज्यादा किसान संगठनों ने आज भारत बंद का ऐलान किया है। किसान नेताओं ने सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक सभी सरकारी और निजी दफ्तरों, संस्थानों, बाजारों, दुकानों और उद्योगों को बंद रखने की अपील की है। पिछले साल नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों की सरकार से कई राउंड बातचीत हुई मगर नतीजा सिफर रहा। सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए किसान संगठन पहले भी 'चक्का जाम' और 'भारत बंद' कर चुके हैं। हालांकि नए कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध जल्द समाप्त होता नहीं दिख रहा।
भारत बंद जानिए विस्तार से:
बहुत ही लंबे समय से किसान संगठन भारत बंद की तैयारी कर रहे थे आज सुबह 6:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक पूरा भारत बंद रहेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में आंदोलनकारी किसानों ने कई योजनाएं बनाई हैं कि आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर, देश भर में बाकी काम बंद रहें। SKM ने बंद के दौरान विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर पूर्ण शांति का आह्वान किया है।
किसान नेताओं का दावा है कि पूरे भारत से लोगों का भारी समर्थन मिला है, भारत बंद सफल रहेगा। इसके साथ ही लोगों से अपील की है कि शांति बनाए रखे, कानून के दायरे में रहकर बंद को सफल बनाएं।
भारत बंद में क्या -क्या खुला रहेगा और क्या बंद?
किसानों के मुताबिक, भारत बंद के दौरान सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक सभी जरूरी सेवाएं पूर्ण रूप से चालू रहेंगी। एसकेएम के अनुसार, भारत बंद में श्रमिक संघों, ट्रेड यूनियनों, कर्मचारियों और छात्र संघों, महिला संगठनों और ट्रांसपोर्टरों के संघों को शामिल किया गया है।
आज दिल्ली की सीमाओं से सफर करने वाले लोगों को आवाजाही करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और अन्य शिक्षण संस्थानों के संचालन पर भी असर पड़ेगा। वहीं कुछ बैंकों की सेवाओं पर भी असर पड़ने की आशंकाएं हैं।
किसान पहले ही इस बात को साफ कर चुकें है कि किसी भी तरह का सरकारी या गैर सरकारी सार्वजनिक कार्यक्रम भी नहीं होने दिए जाएंगे। एसकेएम के बयान के मुताबिक, भारत बंद पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहेगा। भारत बंद के दौरान केंद्र और राज्य सरकार के कार्यालयों, बाजारों, दुकानों, कारखानों, स्कूल कालेजों एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों को काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
सार्वजनिक और निजी परिवहन को भी अनुमति नहीं होगी। हालांकि इस भारत बंद में आपात सेवाएं जैसे एंबुलेंस, दमकल सेवा दवाओं की दुकान व अस्पताल सहित मेडिकल से जुड़ी सेवाओं को संचालन की इजाजत होगी। साथ ही परीक्षा या इंटरव्यू में जाने वाले छात्रों को नहीं रोका जाएगा। कोरोना से जुड़ी और इमरजेंसी सेवाओं को भी बाधित नहीं किया जाएगा।
'लंच के बाद निकलें नहीं तो जाम में फंस जाएंगे'
आज शाम 4 बजे तक बंद रहेगा। लोगों से अनुरोध है कि लंच के बाद ही निकलें, नहीं तो जाम में फंसे रहेंगे। एम्बुलेंस को, डॉक्टरों को, ज्यादा ज़रूरतमंदों को निकलने दिया जाएगा। दुकानदारों से भी अपील की है कि आज दुकानें बंद रखें।
राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता
दिल्ली-NCR में इन इलाकों में हो सकती है दिक्कत
भारत बंद का असर दिल्ली खासकर गाजीपुर बॉर्डर से सटे इलाकों में एनएच-9 और एनएच-24 पर हो सकता है।
अक्षरधाम, नोएडा लिंक रोड, डीएनडी, गाजीपुर रोड, जीटी रोड, वजीराबाद रोड, एनएच-1 और दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेस वे पर ट्रैफिक जाम मिल सकता है।
मेट्रो के मूवमेंट को डिस्टर्ब होने से रोकने के लिए सीआईएसएफ, मेट्रो पुलिस और डीएमआरसी के स्टाफ को भी हाई अलर्ट पर रहने के लिए कहा गया है।
किसान दिल्ली-आगरा नैशनल हाइवे, केएमपी और केजीपी एक्सप्रेसवे भी बंद कर सकते हैं।
दिल्ली-आगरा नैशनल हाइवे के अटोहां मोड़ पर बड़ी संख्या में किसान शामिल होंगे।
एडीजी मेरठ जोन और आईजी मेरठ और सहारनपुर, मुरादाबाद, अलीगढ़ ने बंद के मद्देनजर शांति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं।
सभी जिलों को सुरक्षा के मद्देनजर जोन और सेक्टर में बांटकर अफसरों की तैनाती की गई है।
भारत बंद: राजनीतिक दलों का पुरजोर समर्थन
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, तेलगू देशम पार्टी, बहुजन समाज पार्टी सहित कई राजनीतिक दलों ने समर्थन दिया है।
किसान नेताओं ने कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार ने किसानों के आंदोलन को फिर से समर्थन दिया। केरल में सत्तारूढ़ एलडीएफ ने पहले ही समर्थन में बयान जारी किया था।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश सरकार ने एसकेएम के बंद के आह्वान पर अपना समर्थन व्यक्त किया और घोषणा की राज्य सड़क परिवहन की बसों को 26 तारीख की रात से 27 तारीख की दोपहर तक सड़कों से दूर रखा जाएगा।
आंध्र प्रदेश सरकार ने पहले भी किसान आंदोलन को ऐसा समर्थन दिया था। केरल में सत्ताधारी एलडीएफ ने भी 27 तारीख को हड़ताल का समर्थन किया है।
पंजाब के नए मुख्यमंत्री ने अपना समर्थन दिया, और झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद संयुक्त रूप से भारत बंद की सफलता की योजना बना रहे हैं।
किसान और सरकार... अब तक जारी है गतिरोध
नवंबर 2020 का आखिरी हफ्ता था जब मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली की सीमाओं पर जमा होने लगे थे। तब से शुरू हुआ आंदोलन 10 महीने बाद भी जारी है। इस बीच आंदोलन पर विदेशी फंडिंग से लेकर खालिस्तानी ऐंगल तक की तोहमतें लगीं मगर किसान डटे रहे। केंद्र सरकार के साथ किसान नेताओं की बातचीत बेनतीजा रही। 26 जनवरी को लाल किले पर हिंसा के बाद सरकार ने किसानों से बातचीत बंद कर दी।
हमारे आंदोलनकारी किसानों का क्या कहना है
किसान संगठनों की सबसे बड़ी मांग है कि तीनों नए कृषि कानून वापस लिए जाएं। इससे कम कुछ भी मंजूर नहीं। इसके अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी भी प्रमुख मांग है। अन्य छोटी-छोटी मांगें भी हैं मगर समूचा आंदोलन कानूनों के खिलाफ ही शुरू हुआ था। किसान भारत बंद करने से आंदोलन को और मजबूती मिलेगी, ऐसी उम्मीद कर रहे हैं।
कमजोर क्यों नहीं देखना चाहती है मोदी सरकार?
केंद्र सरकार ने बार-बार कहा कि वह बिंदुवार कानून पर चर्चा के लिए तैयार है मगर किसान संगठन नहीं मान रहे। 11 राउंड की मुलाकात किसी काम नहीं आई। सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों के फायदे के लिए बने हैं। सरकार ने इस साल की शुरुआत में थोड़ी जोर-आजमाइश की थी मगर फिर आंदोलन ने और जोर पकड़ लिया। केंद्र यह तो साफ कर चुका है कि कानून वापस नहीं होंगे। नागरिकता संशोधन अधिनियम के बाद मोदी सरकार का यह दूसरा ऐसा कानून है जिसकी सड़क पर यूं खिलाफत हो रही है।
10 साल भी आंदोलन करना पड़े तो करेंगे -बोले टिकैत।
हरियाणा के पानीपत में भारत बंद से ठीक एक दिन पहले रविवार को महापंचायत का आयोजन किया गया। गुरनाम सिंह चढूनी, राकेश टिकैत समेत कई किसान नेता महापंचायत में पहुंचे। टिकैत ने अगर दस साल भी आंदोलन करना पड़े तो करेंगे। ये आमने-सामने की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि किसान भाई ट्रैक्टर तैयार रखो, कभी भी दिल्ली में जरूरत पड़ सकती है। बीकेयू अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि अगर सरकार ने किसानों की मांगें जल्द नहीं मानीं तो प्रधानमंत्री की कोठी के आगे टेंट लगाएंगे। उधर, कुरुक्षेत्र में शांति और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस अधिकारियों के साथ 20 ड्यूटी मैजिस्ट्रेट को तैनात किया गया है।